जिंदाबाद जिंदाबाद ऐ मुहब्बत जिंदााबाद - The Indic Lyrics Database

जिंदाबाद जिंदाबाद ऐ मुहब्बत जिंदााबाद

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, सहगान | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - मुगल-ए-आजम | वर्ष - 1960

View in Roman

ज़िन्दाबाद! ज़िन्दाबाद! (ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद! -२)
ज़िन्दाबाद! ज़िन्दाबाद! (ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद! -२)(दौलत की ज़ंजीरों से तू -२) रहती है आज़ादज़िन्दाबाद! ज़िन्दाबाद! (ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद! -२)मन्दिर में मस्जिद में तू और तू ही है ईमानों में
मुरली की तानों में तू और तू ही है आज़ानों में
तेरे दम से दीन-धरम की दुनिया है आबादज़िन्दाबाद! ज़िन्दाबाद! (ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद! -२)प्यार की आँधी रुक न सकेगी नफ़रत की दीवारों से
ख़ून-ए-मुहब्बत हो न सकेगा ख़ंजर से तलवरों से
मर जाते हैं आशिक़ ज़िन्दा रह जाती है यादज़िन्दाबाद! ज़िन्दाबाद! (ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद! -२)(कोरस: आ आ आ ...)इश्क़ बग़ावत कर बैठे तो दुनिया का रुख़ मोड़ दे
आग लगा दे महलों में और तख़्त-ए-शाही छोड़ दे
सीना ताने मौत से खेले कुछ न करे फ़रियादरफ़ी, कोरस:
ज़िन्दाबाद! ज़िन्दाबाद! -२ (ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद! -२)कोरस: आ आ आ... आ आ आ आ आ आ आ...ताज हुकूमत जिसका मज़हब फिर उसका ईमान कहाँ -२
जिसके दिल में प्यार न हो, वो पथ्थर है इनसान कहाँ -२
प्यार के दुश्मन होश में, आ हो जायेगा बरबाद!रफ़ी, कोरस:
ज़िन्दाबाद! ज़िन्दाबाद! (ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद! -२)(रफ़ी: ज़िन्दाबाद! ज़िन्दाबाद! ज़िन्दाबा{...}द!)
(कोरस: ज़िन्दाबाद! ज़िन्दाबाद! ज़िन्दाबाद! ज़िन्दाबाद!)