चली बन के दुल्हन उनसे लागी लगन मोरा मैके में जी घबरावत है - The Indic Lyrics Database

चली बन के दुल्हन उनसे लागी लगन मोरा मैके में जी घबरावत है

गीतकार - नूर लखनवी | गायक - लता | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - सुबह का तारा | वर्ष - 1954

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चली बन के दुल्हन उनसे लागी लगन मोरा मैके में जी घबरावत है
मोरा माने न मन हैं द्वारे सजन मोरा मैके में जी घबरावत है
चली बन के दुल्हन ...

मलके मेहंदी मैं सोलह सिंगार करूँ और सिंदूर से अपनी माँग भरूँ
टीका माथे पे मोहे सुहावत है मोरा मैके में जी घबरावत है
चली बन के दुल्हन ...

दूर का है सफ़र कोई साथी नहीं है अकेली दुल्हन कोई बाराती नहीं
मोहे जाने में अब भय आवत है मोरा मैके में जी घबरावत है
चली बन के दुल्हन ...

शादियाने कहीं सब बजाते चलें गीत पी के मिलन के सुनाते चलें
डोला ससुराल को मोरा जावत है मोरा मैके में जी घबरावत है
चली बन के दुल्हन ...$