क्या कबर थी तेरी महफिल से निकलाना होगा - The Indic Lyrics Database

क्या कबर थी तेरी महफिल से निकलाना होगा

गीतकार - कतील शिफाई | गायक - नूरजहां | संगीत - मास्टर इनायत हुसैन | फ़िल्म - पाक दमन (पाकिस्तानी-फिल्म) | वर्ष - 1969

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क्या ख़बर थी तेरी मह्फ़िल से निकलना होगा
दिल न चाहे गा मगर आग पे चलना होगाशमा इक रात जला कर्ती है लेकिन मुझ को
उम्र भर के लिये चुप चाप पिघलना होगाछीन ली पयार की ठन्डक तो ज़माने ने कहा
तुझ को इक आतिश-ए-गुमनाम में जलना होगाबन्द हैं मौत की राहें भी असीरों के लिये
जाने इस क़ैद से अब कैसे निकलना होगाआसमां वाला अगर मेरा ख़ुदा है तो उसे
अपनी दुनिया के रिवाजों को बदलना होगा