एक जुर्म करके हमाने चाहा था मुस्कुराना: - The Indic Lyrics Database

एक जुर्म करके हमाने चाहा था मुस्कुराना:

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - सुमन कल्याणपुर | संगीत - गुलाम मोहम्मद | फ़िल्म - शाम | वर्ष - 1961

View in Roman

एक जुर्म करके हमने चाहा था मुस्कुराना
मरने न दे मोहब्बत, जीने न दे ज़मानाहम बेताल्लुक़ी की रस्में निभा देंगे
पर तुम न याद करना, पर तुम न याद आनाये सोचकर बुझा दी ख़ुद शमा आर्ज़ू की
शायद हो रोशनी में, मुश्किल नज़र मिलानाजब अश्क पी लिये हैं, जब होंठ सी लिये हैं
तब पूछती है दुनिया, मुझसे मेरा फ़सानाएक जुर्म करके हमने चाहा था मुस्कुराना