मुसाफ़िर हैं हम-तुम ये दुनिया सराय - The Indic Lyrics Database

मुसाफ़िर हैं हम-तुम ये दुनिया सराय

गीतकार - असद भोपाली | गायक - रफ़ी, मुबारक बेगम, सुधा मल्होत्रा | संगीत - ए आर कुरैशी | फ़िल्म - सिम सिम मरजीना | वर्ष - 1958

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मुसाफ़िर हैं हम-तुम ये दुनिया सराय
इधर कोई आए उधर कोई जाए
ये जलवे ये नग़में ये महफ़िल सुहानी
ये हुस्न और मोहब्बत की रंगीं कहानी
यहाँ की हर एक चीज़ है आनी जानी
वो नादान है इनसे जो दिल लगाए
मुसाफ़िर हैं हम तुम
हर एक चीज़ में है नई ज़िन्दगानी
वो नादान है जो यहाँ तक न आए
मुसाफ़िर हैं हम तुम
ज़माना हुआ है न होगा किसी का
तमाशा है सारा घड़ी दो घड़ी का
भरोसा न करना कभी ज़िन्दगी का
ना मालूम कब साँस आए न आए
मुसाफ़िर हैं हम तुम
ये दुनिया है दो घड़ी का तमाशा
न करना यहाँ ज़िन्दगी का भरोसा
ना बाकी रहे कोई दिल की तमन्ना
अधूरी कहीं दास्तां रह न जाए
मुसाफ़िर हैं हम तुम