चोर सिपाही के झगड़े यूं घुर घुर के निहारा - The Indic Lyrics Database

चोर सिपाही के झगड़े यूं घुर घुर के निहारा

गीतकार - अंजान | गायक - कुमार सानू | संगीत - बप्पी लाहिड़ी | फ़िल्म - | वर्ष - 1992

View in Roman

चोर सिपाही के झगड़े में होगी किसकी जीत
चोर किसी के मीत यहाँ न मोर किसी के मीतयूँ घूर घूर के निहारा न करो
यूँ दूर दूर दूर से इशारा न करो
ऐसी बातें भूल के दोबारा न करोचारो तरफ़ पहरा लगा है अफ़सरान का
ये वक़्त है मेरे तुम्हारे इन्तहान का
हाँ बहुत कठिन है डगर पनघट की
झटपट भर लाओ जमुना से मटकी
यूँ घूर घूर के ...( सभी की लेंगे ये बारी बारी ये वर्दी वाले तलाशी लेंगे
हो कोई मजबूरी कोई लाचारी किसी को भी ये ना छोड़ेंगे ) -२
देख के चेहरा दिल की बातें जान लें इनकी आँखें
इनकी गहरी आँखें सीधे सबके दिलों में झाँकें
हरपल हर क्षण सबकी गर्दन सूली पे ( लटकी ) -४
बहुत कठिन है डगर ...