मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया - The Indic Lyrics Database

मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया

गीतकार - दीवान शररा | गायक - लता, मन्ना देयू | संगीत - वसंत देसाई | फ़िल्म - झनक झनक पायल बाजे | वर्ष - 1955

View in Roman

मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया
जमुना के तट पे विराजे हैं
मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया
जमुना के तट पे विराजे हैं
मोर मुकुट पर कानों में कुण्डल
कर में मुरलिया मुरलिया मुरलिया साजे है
इतने में दी दिखाई राधा
राधा राधा राधा
पनघट पर से आय रही
कतराय रही
शरमाय रही
मुसकाय रही बलखाय रही
इधर बंशी में लहर सी उठी
कृष्ण के मुख पर सजने लगी
पर आप ही आप से बजने लगी बजने लगी बजने लगी
लम्बा सा घूँघट काढ़ लिया
बंशी के सुरों पर झूम गई
हर सरत डगरिया मोह ली
मोहन की ओर ही दुमकित दुमकित दुमकित धूम गई
फिर कृष्ण कन्हैया नटखट ने
राधा की कलैया थाम लई
राधा ने पुकारा
राधा ने पुकारा
हाय दई कोई आओ सखी कोई आओ सखी
फिर हाथ छुड़ा कर बोली हटो
फिर हाथ छुड़ा कर बोली हटो
अब जावो डगरिया छोड़ मोरी
कहा कृष्ण ने चुप रह
वरना दूँगा गगरिया फोड़ तोरी
राधा तब उसकी शोख़ी पर कुछ बिगड़ी भी
मुसकाई भी
फिर क्R^ईष्ण से पूछा
कौन हो तुम क्या नाम है जी
क्या काम है जी क्या काम है जी

हमें गोप गुआला कहते हैं
और कृष्ण दिया है नाम हमें नाम हमें
कोई नटवर गिरधर कहता है
और कोई कहे घनश्याम हमें
घनश्याम नहीं तुम काले हो
तुम नटखट हो मतवाले हो मतवाले हो
चितचोर हो माखन चोर नहीं
सुख-चैन चुराने वाले हो
घनश्याम नहीं
राधा ने उनको हाथ दिया
और कृष्ण ने उनका साथ दिया
कुछ बात हुई कुछ घात हुई
इतने में सूरज डूब गया
राधा की पायल जाग उठी
दोनों में कला की राग उठी
अब रैन को दीप सँवारे थे
और नील गगन पे तारे थे
रैन को दीप सँवारे थे
और नील गगन पे तारे थे
राधा को विदा के इशारे
राधा को विदा के इशारे थे
राधा ने आँचल बाँध लिया
मुरली को सम्भाला माधव ने