रह ए इश्क की इंतहान चाहता हुं - The Indic Lyrics Database

रह ए इश्क की इंतहान चाहता हुं

गीतकार - संत दर्शन सिंह जी महाराज | गायक - गुलाम अली | संगीत - अल्लाहुद्दीन खान | फ़िल्म - कलाम-ए-मोहब्बत (गैर फिल्म) | वर्ष - 1992

View in Roman

रह-ए-इश्क़ की इन्तेहाँ चाहता हूँ
जुनूँ सा कोई रहनुमा चाहता हूँजो इरफ़ान की ज़िंदगी को बढ़ा दे
मैं वो वादा-ए-जाँ-फ़िज़ा चाहता हूँमिटा कर मुझे आप में जज़्ब कर ले
बक़ा के लिये मैं फ़ना चाहता हूँबयाँ हाल-ए-दिल मैं करूँ क्यूँ ज़बाँ से
ख़ुदा जानता है मैं क्या चाहता हूँमेरे चारागर मैं हूँ बीमार तेरा
तेरे हाथ से ही शिफ़ा चाहता हूँ