तू ढूंढता है जिसको बस्ती में आ के बन मैं - The Indic Lyrics Database

तू ढूंढता है जिसको बस्ती में आ के बन मैं

गीतकार - पं. भूषण | गायक - धनंजय भट्टाचार्य | संगीत - पंकज मलिक | फ़िल्म - यात्री | वर्ष - 1952

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तू ढूँढता है जिसको बस्ती मे आ के बन मे
वो साँवरा सलोना रहता है, रहता है तेरे मन मे ...मसजीद मे मंदिरों में पर्वत के कंकड़ों में
नदीयों के पानीयों में गहरे समंदरों में
लेहरा रहा है वो ही खुद अपने बाँकपन मे
वो साँवरा सलोना रहता है, रहता है तेरे मन मे ...हर ज़र्रे मे रमा है हर फुल मे बसा है
हर चीज़ मे उसीका जलवा झलक रहा है
हरकत वो कर रहा है हर इक के तन बदन मे
वो साँवरा सलोना रहता है रहता है तेरे मन मे ...