कहने को बहुत कुछ कहना था - The Indic Lyrics Database

कहने को बहुत कुछ कहना था

गीतकार - मधुकर राजस्थानी | गायक - तलत, मधुबाला ज़वेरि | संगीत - स्नेहल भटकर | फ़िल्म - दिवाली की रात | वर्ष - 1956

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कहने को बहुत कुछ कहना था टकरायी नज़र शरमा ही गये
इक झुकती नज़र को देख सनम हम पिये बिना लहरा ही गये
कहने को बहुत कुछ कहना था
ज़ुल्फ़ों की घटाओं में छुप कर जी भर के चला लो तीर-ए-नज़र
उलफ़त की अदा के दीवाने सौ तीर जिगर पर खा ही गये
कहने को बहुत कुछ कहना था
तुम राज़-ए-मुहब्बत क्या समझो तुम इश्क़ की बातें क्या जानो
हाये, कच्चे धागे से बँध कर सरकार मेरी तुम आ ही गये
कहने को बहुत कुछ कहना था
ऐ साज़-ए-जवानी छेड़ कोई एक गीत सुहाना प्यार भरा
दो प्यार भरे दिल आज मिले मंज़िल को अपनी पा ही गये
ऐ रात यहीं पर रुक जा तू ऐ चाँद सितारों मत ढलना
अंदाज़-ए-बयाँ से ज़ाहिर है हम उन के दिल को भा ही गये
कहने को बहुत कुछ कहना था टकरायी नज़र शरमा ही गये
कहने को बहुत कुछ कहना था