ओ मेरे सोना रे, सोना रे, सोना रे - The Indic Lyrics Database

ओ मेरे सोना रे, सोना रे, सोना रे

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - आशा भोसले - मोहम्मद रफी | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - तीसरी मंजिल | वर्ष - 1966

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ओ मेरे सोना रे, सोना रे, सोना रे
दे दूँगी जान जुदा मत होना रे
मैने तुझे जरा देर में जाना
हुआ कुसूर खफ़ा मत होना रे
ओ मेरे सोना रे, सोना रे, सोना

ओ मेरी बाहों से निकलके तू अगर मेरे रस्ते से हट जाएगा
तो लहराके हो बलखाके, मेरा साया तेरे तन से लिपट जाएगा
तुम छुड़ाओ लाख दामां, छोड़ते हैं कब यह अरमां
की मैं भी साथ रहूंगी रहोगे जहाँ

ओ मियाँ हमसे ना छिपाओ, वो बनावट की सारी अदाएँ लिए
की तुम इसपे हो इतराते की मैं पीछे हूँ सौ इल्तिजाएँ लिए
जी में खुश हो मेरे सोना, झूठ है क्या, सच कहों ना
की मैं भी साथ रहूंगी रहोगे जहाँ

ओ फिर हमसे ना उलझना, नहीं लट और उलझन में पड जाएगी
ओ पछताओगी कुछ ऐसे, की यह सुर्खी लबों की उतर जाएगी
यह सज़ा तुम भूल न जाना, प्यार को ठोकर मत लगाना
की चला जाऊँगा फिर मैं न जाने कहाँ