तेरी महफ़िल में क़िस्मत आजमाकर हम भी देखेंगे - The Indic Lyrics Database

तेरी महफ़िल में क़िस्मत आजमाकर हम भी देखेंगे

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - लता - शमशाद बेगम | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - मुगल-ए-आजम | वर्ष - 1960

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तेरी महफ़िल में क़िस्मत आजमाकर हम भी देखेंगे
घडी भर को तेरे नज़दीक आकर हम भी देखेंगे
तेरी महफ़िल में क़िस्मत आजमाकर हम भी देखेंगे
तेरे कदमों पे सर अपना झुकाकर हम भी देखेंगे
बहारें आज पैगाम-ए-मोहब्बत लेके आई है
बडी मुद्दत में उम्मीदों की कलियाँ मुस्कुराई है
ग़म-ए-दिल से जरा दामन बचाकर हम भी देखेंगे
अगर दिल ग़म से खाली हो तो जीने का मजा क्या है
ना हो खून-ए-जिगर तो अश्क पीने का मजा क्या है
मोहब्बत मे जरा आँसू बहाकर हम भी देखेंगे
मोहब्बत करने वालों का है बस इतना ही अफ़साना
तड़पना चुपके-चुपके आह भरना घूट के मर जाना
किसी दिन ये तमाशा मुस्कुराकर हम भी देखेंगे
मोहब्बत हमने माना ज़िन्दगी बर्बाद करती है
ये क्या कम है के मर जाने पे दुनिया याद करती है
किसी के इश्क में दुनिया लूटाकर हम भी देखेंगे