कहाँ जा रहा है तू ऐ जाने वाले - The Indic Lyrics Database

कहाँ जा रहा है तू ऐ जाने वाले

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - रफी | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - सीमा | वर्ष - 1955

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कहाँ जा रहा है तू ऐ जाने वाले
अँधेरा है मन का दिया तो जला ले
कहाँ जा रहा है
ये जीवन सफ़र एक अंधा सफ़र है
बहकना है मुमकिन भटकने का डर है
संभलता नहीं दिल किसी के संभाले
कहाँ जा रहा है
जो ठोकर न खाए नहीं जीत उसकी
जो गिर के संभल जाए है जीत उसकी
निशाँ मंज़िलों के ये पैरों के छाले
कहाँ जा रहा है
कभी ये भी सोचा कि मंज़िल कहाँ है
बड़े से जहाँ में ( तेरा घर कहां है )
जो बाँधे थे बंधन वो क्यों तोड़ डाले
कहाँ जा रहा है