मुझी में छुप कर मुझी से दूर - The Indic Lyrics Database

मुझी में छुप कर मुझी से दूर

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - रफ़ी, आशा | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - जेलर | वर्ष - 1958

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मुझी में छुप कर मुझी से दूर
ये कैसा दस्तूर रे मालिक ये कैसा दस्तूर
मैने मन की आँखों से तो देखा है सौ बार तुझे
लेकिन तन की आँखों से भी दे दर्शन इक बार मुझे
दर्शन दे फिर छिन ले अँखियाँ ये मुझको मंजूर
रे मालिक ये मुझको मंजूर
मुझी में छुप कर
चली हवा जब तन को छू कर मैने तुझे पहचान लिया
तुझ बिन कोमल हाथ ये किसका होगा मैने जान लिया
धूप हवा सब रूप हैं तेरे सब में तेरा नूर
रे मालिक सब में तेरा नूर
मुझी में छुप कर
सच्चे दिल से नाम लूँ तेरा निर्धन की यही पूजा है
अँधियारे में साथी कोई और न तुम बिन दूजा है
तेरी ख़ुशी में ख़ुश हैं दाता हम बन्दे मजबूर
रे मालिक हम बन्दे मजबूर
मुझी में छुप कर