कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना - The Indic Lyrics Database

कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - शमशाद बेगम | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - सी.आई.डी. | वर्ष - 1956

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कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना -२
जीने दो ज़ालिम बनाओ न दीवाना
कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना -२कोई न जाने इरादे हैं किधर के -२
मार न देना तीर नज़र का किसी के जिगर पे -२
नाज़ुक ये दिल है बचाना ओ बचाना
कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना -२तौबा जी तौबा निगाहों का मचलना -२
देख-भाल के ऐ दिलवालों पहलू बदलना -२
क़ाफ़िर अदा की अदा है मस्ताना
कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना -२ज़ख़्मी हैं तेरे जायें तो कहाँ जायें -२
तेरे तीर के मारे हुये देते हैं सदायें -२
कर दो जी घायल तुम्हारा है ज़माना
कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना -२आया शिकारी ओ पन्छी तू सम्भल जा -२
देख जाल है ज़ुल्फ़ों का तू चुपके से निकल जा -२
उड़ जा ओ पन्छी शिकारी है दीवाना
कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना -२