गोरी पैंजनिया उतार चली रे - The Indic Lyrics Database

गोरी पैंजनिया उतार चली रे

गीतकार - समीर | गायक - वसुंधरा, कीर्ति सगथिया | संगीत - आदेश श्रीवास्तव | फ़िल्म - सूर्य | वर्ष - 2003

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को : आ ऐ आगोरी पैंजणिया उतार चली रे
चोरी से नदिया के पार चली रे
हाय गोरी पैंजणिया उतार चली रे
चोरी से नदिया के पार चली रेकोई देख ना कोई है रात सोई-सोई
अरे देख ना कोई है रात सोई-सोई
देखो हरजाई सजणा के द्वार चली रेको : हैया -१४गोरी पैंजणिया उतार चली रे
चोरी से नदिया के पार चली रेको : हो ओ ओ ढोला सारी रात जागे-सतावे
ढोला नौ तन ऐसा कहो कोई लै आवेवक़्त का तक़ाज़ा है दर्द का फ़साना है
हो ओ ओ वक़्त का तक़ाज़ा है दर्द का फ़साना है
कौन किसे समझेगा संगदिल ज़माना है
अँखियन से अंसुवन की धार चले रे
को : हो हो हो
गोरी पैंजणिया उतार चली रे
चोरी से नदिया के पार चली रे
देख ना कोई है रात सोई-सोई
हाँ आँ आँ
अरे देख ना कोई है रात सोई-सोई
देखो हरजाई सजणा के द्वार चली रे
ऐ ऐ ऐ ऐको : हैया -१४दूर बड़ी मंज़िल है राह बड़ी मुश्क़िल है
हाँ आँ
दूर बड़ी मंज़िल है राह बड़ी मुश्क़िल है
राज़ कोई जाने ना सोच में पड़ा दिल है
आई बेचारी लाचार चली रे
गोरी पैंजणिया उतार चली रे
चोरी से नदिया के पार चली रे
देख ना कोई है रात सोई-सोई
हाँ आँ
अरे देख ना कोई है रात सोई-सोई
देखो हरजाई सजणा के द्वार चली रे
ऐ ऐ ऐ ऐको : हैया -१४गोरी पैंजणिया
चोरी से नदियाको : हैया -१४
ओ ढोला ढोला