कहाँ हैं हम ये आज - The Indic Lyrics Database

कहाँ हैं हम ये आज

गीतकार - प्रदीप | गायक - रफ़ी, आशा | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - पैगाम | वर्ष - 1959

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कहाँ हैं हम ये आज मत पूछो एक झूठा दिलासा है
हमें मत इस तरह टालो हमारा प्यार प्यासा है
जवानी के अकेलेपन की घड़ियाँ हमको ना भाएँ
इजाज़त हो तो हम आएँ
हमारी भी ये हसरत है किसी का प्यार हम पाएँ
किसी के पास हैं हम तो मगर है अब तलक़ ये दूरी
हुक़्म दे दो तो हम कर दें तुम्हारी ये कमी पूरी
अगर तुमसा मिले कोई तो हम जन्नत को ठुकराएँ
इजाज़त हो तो हम आएँ
ये धड़कन क्यूँ ये तड़पन क्यूँ दर्द मीठा सा क्या है ये
जो अब मानो तो हम कह दें जवानी की सज़ा है ये
बिना कारण ये ज़ुर्माना अजी हम क्यूँ न घबराएँ
इजाज़त हो तो हम आएँ