सदियां समा गई इस इक पल में - The Indic Lyrics Database

सदियां समा गई इस इक पल में

गीतकार - महबूब | गायक - हरिहरन, उदित नारायण, महालक्ष्मी | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - लकीर - निषिद्ध रेखाएं | वर्ष - 2004

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ह : ( सदियाँ समा गईं इस इक पल में
दिखने लगा सुक़ूं दुनिया की हलचल में ) -२
ऐ काश
पा लूँ ये पल
मैं भी
मैं भी इस पल में -२
इस पल में
मैं भी इस पल में
हो ओ
ला राको : सदियाँ सदियाँ सदियाँ रे -४सदियाँ सदियाँ सदियाँ रे -४सदियाँसदियाँ सदियाँम : हो
नैनों के शीशे में साया है किसका
लुक-छुप के आता है चंदा के जैसा
कश्ती-ए-दिल कहती है मिल सागर है इश्क़ का
रोके क्यूँ हमको यूँ ये हया
लहरों में डूबे लोग तो हैं सदा
साहिल पे डूब के जी लें हम सदियाँ
सदियाँ सदियाँह : सदियाँ समा गईं इस इक पल में
दिखने लगा सुक़ूं दुनिया की हलचल में
ऐ काश
पा लूँ ये पल
मैं भी
मैं भी इस पल में -२
इस पल में
मैं भी इस पल में
हो ओ
ला राको : ऐ -६उ : अश्क़ों को आई हँसी गुमसुम है ज़ुबाँ
माफ़ करें कह ना सकूँ हाल-ए-दिल यहाँ
राज़-ए-वफ़ा रहते हैं दो दिल के दर्मियाँ
कह दिया तो रहा इश्क़ क्या
आँखों में डूबे ख़ामोशी से हया
ऐसे ही गुज़रें सदियाँ सदियाँ
सदियाँ सदियाँसदियाँ समा गईं इस इक पल में
दिखने लगा सुक़ूं दुनिया की हलचल में
ऐ काश
पा लूँ ये पल
मैं भी
मैं भी इस पल में -२
इस पल में
हे हे
मैं भी इस पल में
हो हो ओ ओ ओ