ग़: कह रहीं हैं धड़कनें पुकार कर - The Indic Lyrics Database

ग़: कह रहीं हैं धड़कनें पुकार कर

गीतकार - असद भोपाली | गायक - गीता, तलत | संगीत - हंसराज बहल | फ़िल्म - लाल परि | वर्ष - 1954

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कह रहीं हैं धड़कनें पुकार कर
चुपके चुपके धीरे धीरे प्यार कर
तुम को पाया अपने दिल को हार कर
छुप न जाना ज़िंदगी सँवार कर
हसीन रात जग उठी मचल रही है चांदनी
चमन चमन बहार है मेरे सनम
निगाहों में ख़ुमार है मेरे सनम
सद्क़े तेरे दिल के मेरे ऐसि नींद से न होशियार कर
चुपके चुपके धीरे धीरे प्यार कर
कह रहीं हैं धड़कनें पुकार कर
चुपके चुपके धीरे धीरे प्यार कर
भुला भी दे ख़ताओं को हँसा भी दे फ़िज़ाओं को
नहीं है बस में दिल मेरा ओ नाज़नीं
करीब आ नज़र मिल ओ नाज़नीं
तु जो कहे ला दूँ अभी आसमाँ से चाँद को उतार कर
छुप न जाना ज़िंदगी सँवार कर
कह रहीं हैं धड़कनें पुकार कर
चुपके चुपके धीरे धीरे प्यार कररात ने क्या क्या ख्वाब दिखाये
रंग भरे सौ जाल बिछाये
आँखें खुली तो सपने टूटे
रह गये ग़म के काले साये
रात ने
ओ हम ने तो चाहा भूल भी जायें
वो अफ़साना क्यों दोहोरायें
दिल रह रह के याद दिलाये
रात ने क्या क्या
दिल में दिल का दद.र छुपाये
चलो जहां क़िस्मत ले जाये
दुनिया परायी लोग पराये
रात ने क्या क्या $