कभी तन्हाइयों में एक ऐसी भी घड़ी आई - The Indic Lyrics Database

कभी तन्हाइयों में एक ऐसी भी घड़ी आई

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - तलत महमूद | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - मीनार | वर्ष - 1954

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कभी तन्हाइयों में एक ऐसी भी घड़ी आई
बहुत रोने की कोशिश की मगर फिर भी हँसी आई
मज़ा क्या दिल को आता है न जाने बेक़रारी में
तड़प उट्ठा ये दीवाना अगर दम भर ख़ुशी आई
कभी बस्ती से घबराके जो वीराने में आ निकले
तो बेचैनी भी साये की तरह पीछे चली आई
किसी को भूल जाने का इरादा जो किया मैंने
मुझे रह रह के समझाने मेरे दिल की लगी आई