असीर ए पंजा ए हुए हम जिन के लिए बाराबाद - The Indic Lyrics Database

असीर ए पंजा ए हुए हम जिन के लिए बाराबाद

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - उड़न खटोला | वर्ष - 1951

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असीर-ए-पंजा-ए-अहद-ए-शबाब कर के मुझे
कहाँ गया मेरा बचपन खराब कर के मुझेहुए हम जिनके लिए बरबाद
वो हमको चाहे करें न याद
जीवन भर, जीवन भर उनकी याद में
हम गाए जाएंगे, हम गाए जाएंगेएक ज़माना था वो पल भर हमसे रहे न दूर
हमसे रहे न दूर
एक ज़माना है के हुए हैं मिलने से मजबूर
मिलने से मजबूर
रहे वो दिल का नगर आबाद
बसी है जिस में किसी की याद
हम दिल को, हम दिल को उनके याद से
बहलाए जाएंगे, बहलाए जाएंगेमैं हूँ ऐसा दीपक जिस में न बाती न तेल
न बाती न तेल
बचपन बीता बनी मोहब्बत चार दिनों का खेल
चार दिनों का खेल
वो ग़म से लाख रहे आज़ाद
सुने न दर्द भरी फ़रियाद
अफ़्साना, अफ़्साना उनके प्यार का
हम गाए जाएंगे, गाए जाएंगे