अरे हाय ये मजबूरी - The Indic Lyrics Database

अरे हाय ये मजबूरी

गीतकार - वर्मा मलिक | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - रोटी कपड़ा और मकान | वर्ष - 1974

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अरे हाय हाय ये मजबूरी
ये मौसम और ये दूरी
अरे हाय हाय हाय मजबूरी
ये मौसम और ये दूरी
मुझे पल पल है तड़पाये
तेरी दो टकियाँ दी नौकरी वे मेरा लाखों का सावन जायेहाय हाय ये मजबूरी
ये मौसम और ये दूरी
मुझे पल पल है तड़पाये
तेरी दो टकियाँ दी नौकरी वे मेरा लाखों का सावन जाये
हाय हाय ये मजबूरी
ये मौसम और ये दूरीहा आ आ आकितने सावन बीत गये
कितने सावन बीत गये बैठी हूँ आस लगाये
जिस सावन में मिले सजनवा वो सावन कब आये
कब आये
मधुर मिलन का ये सावन हाथों से निकला जायेतेरी दो टकियाँ दी नौकरी वे मेरा लाखों का सावन जाये
हाय हाय ये मजबूरी
ये मौसम और ये दूरी
मुझे पल पल है तड़पाये
तेरी दो टकियाँ दी नौकरी वे मेरा लाखों का सावन जाये
हाय हाय ये मजबूरी
ये मौसम और ये दूरीप्रेम का ऐसा बंधन है -२
जो बंध के फिर ना टूटे
अरे नौकरी का है क्या भरोसा आज मिले कल छूटे
कल छूटे
अम्बर पे है रचा स्वयम्वर फिर भी तू घबरायेतेरी दो टकियाँ दी नौकरी वे मेरा लाखों का सावन जाये
डंग डिंग डंग डिंग डंग डंग -२
मुझे पल पल है तड़पाये
तेरी दो टकियाँ दी नौकरी वे मेरा लाखों का सावन जाये
हाय हाय ये मजबूरी
ये मौसम और ये दूरी