तड़प तड़प के कटी उमर आशियाने में - The Indic Lyrics Database

तड़प तड़प के कटी उमर आशियाने में

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - वसंत देसाई | फ़िल्म - दो फूल | वर्ष - 1958

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(तड़प तड़प के कटी उम्र आशियाने में)-२
मिला न चैं हमें तो कभी ज़माने में
तड़प तड़प के कटी उम्र आशियाने में(बहार आई खिले फूल हम तो ये समझे)-२
किसी ने आग लगाई है अशियाने में
मिला न चैं हमें तो कभी ज़माने में
तड़प तड़प के कटी उम्र आशियाने मेंकिसी से कुछ न कहा
किसी से कुछ न कहा, अपने दिल से बातें की
हम आप जल गये दिल का दिया जलाने में
मिला न चैं हमें तो कभी ज़माने में
तड़प तड़प के कटी उम्र आशियाने में(भगवान)-४
(हमारे सब्र का भगवान इम्तेहान न ले)-२
कहीं ये दम न निकल जाये ? में
मिला न चैं हमें तो कभी ज़माने में
तड़प तड़प के कटी उम्र आशियाने में