काहे गुमान करे री गोरी - The Indic Lyrics Database

काहे गुमान करे री गोरी

गीतकार - पं. इंद्र | गायक - सहगल | संगीत - खेमचंद प्रकाश | फ़िल्म - तानसेन | वर्ष - 1943

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ख़ामोश निगाहें ये सुनाती हैं कहानी

ख़ामोश निगाहें ये सुनाती हैं कहानी -2
लो आज चली ठोकरें खाने को जवानी
ख़ामोश निगाहें -2

ये मान लिया पंछी
ये मान लिया काट लिये पर हैं किसी ने
पर दिल की कहानी तो है पिया को सुनानी
ख़ामोश निगाहें -2

हर सू है अन्धेरा तो दिया इक भी जले क्यूँ
फूटी हुई क़िसमत को है अब ठोकरें खानी
ख़ामोश निगाहें -2

है रात सुहानी दिये जलते हैं हज़ारों -2
हसरत के अंधेरे से बनी आज दीवानी
आज दीवानी
ख़ामोश निगाहें -2

शायद ये तेरे उजड़े हुए दिल की है तसवीर
पानी की रवानी में चिराग़ों की रवानी
ख़ामोश निगाहें -2

घर-बार उजाड़ा तेरी फ़ुरक़त में जुनूं से
सीने से लगा रखी है इक तेरी निशानी
इक तेरी निशानी
ख़ामोश निगाहें -2

बाज़ार में ढूँढा तुझे गलियों में पुकारा
अफ़सोस किसी ने ना सुनी और ना मानी
और ना मानी
ख़ामोश निगाहें -2

दिन-रात तुझे ढूँढ रही
ए दिन-रात तुझे ढूँढ रही हैं मेरी आँखें
जायेंगे जहाँ ले चले अश्क़ों की रवानी
ख़ामोश निगाहें -2

तक़दीर दर-ए-यार पे आख़िर मुझे लायी
हाँ तक़दीर दर-ए-यार पे आख़िर मुझे लायी
सुन दिल की कहानी मेरी आँखों की ज़ुबानी
ख़ामोश निगाहें -2