ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, - The Indic Lyrics Database

ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा,

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - किशोर, आशा | संगीत - रवि | फ़िल्म - दिल्ली का ठग | वर्ष - 1958

View in Roman

ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा
कहा दो दिलों ने, की होंगे न मिल कर, कभी हम जुदा
ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा
ये क्या बात है आज की चांदनी में
के हम खो गये प्यार की रागिनी में
ये बाहों में बाहें, ये बहकी निगाहें
लो आने लगा ज़िंदगी का मज़ा
ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा
oसितारों की महफ़िल ने करके इशारा
कहा अब तो सारा जहाँ है तुम्हारा
मुहब्बत जवाँ हो, खुला आसमाँ हो
करे कोई दिल आरज़ू और क्या
(दोनो): ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा

क़सम है तुम्हे तुम अगर मुझसे रूठे
रहे सांस जब तक, ये बंधन न टूटे
तुम्हें दिल दिया है, ये वादा किया है
सनम मैं तुम्हारी रहूँगी सदा
ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा
(दोनो): कहा दो दिलों ने, की होंगे न मिल कर,
कभी हम जुदा
(दोनो): ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा$