काँटों से छेड़ते हैं मेरे जिगर के छाले - The Indic Lyrics Database

काँटों से छेड़ते हैं मेरे जिगर के छाले

गीतकार - मजरूह | गायक - अमीरबाई | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - कीमत | वर्ष - 1946

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कालेकाले आये बदरवा

कालेकाले आये बदरवा

आवो सजन मोरे आवो

को : कालेकाले आये बदरवा

आवो सजन मोरे आवो

सु: जब सावन की रुत आये सजनवा

जिया पे लागे मोरे ठेस

ऐसे में तुम मोरे सजनवा

काहे गये परदेस

को: जब सावन की रुत आये सजनवा

जिया पे लागे मोरे ठेस

ऐसे में तुम मोरे सजनवा

काहे गये परदेस

हो कालेकाले आये बदरवा

आवो सजन मोरे आवो

कालेकाले आये बदरवा

आवो सजन मोरे आवो

सु : जब पनघट पे सखियन के संग मैं

पनिया भरन को जाऊँ

छलक पड़े नयनन की गगरी

रोरो नीर बहाऊँ

को : जब पनघट पे सखियन के संग मैं

पनिया भरन को जाऊँ

छलक पड़े नयनन की गगरी

रोरो नीर बहाऊँ

हो कालेकाले आये बदरवा

आवो सजन मोरे आवो

कालेकाले आये बदरवा

आवो सजन मोरे आवो

सु : अरे हरेहरे ये खेत सजनवा

कटे तो फिर उगि आये

गयी जवानी बीत तो सजना

नहीं लौट के आये

को : अरे हरेहरे ये खेत सजनवा

कटे तो फिर उगि आये

गयी जवानी बीत तो सजना

नहीं लौट के आये

हो कालेकाले आये बदरवा

आवो सजन मोरे आवो

कालेकाले आये बदरवा

आवो सजन मोरे आवो