आग लगी तन-मन में - The Indic Lyrics Database

आग लगी तन-मन में

गीतकार - शकील | गायक - शमशाद | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - आन | वर्ष - 1952

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आग लगी तन-मन में
दिल को पड़ा थामना
राम जाने कब होगा
सैंयाँ जी का सामना )-2
हो

सूनी है आज पिया मोरी अटरिया
पिया मोरी अटरिया
ज़रा दीजो ख़बरिया
दिल तड़पे जैसे बिना जल की मछरिया
ज़रा लीजो ख़बरिया
सूनी है आज पिया मोरी अटरिया
पिया मोरी अटरिया
दिल तड़पे जैसे बिना जल की मछरिया
ज़रा लीजो ख़बरिया
आन पड़े मुश्क़िल तो आये कोई काम ना
राम जाने कब होगा
सैंयाँ जी का सामना
हूं

साजन की याद मुझे पल पल सताये
मुझे पल पल सताये
देखो नैना भर आये
तन का सिन्गार मेरे मन को न भाये
देखो नैना भर आये
साजन की याद मुझे पल पल सताये
मुझे पल पल सताये
तन का सिन्गार मेरे मन को न भाये
देखो नैना भर आये
प्यार मेरा हो जाये कहीं बदनाम ना
राम जाने कब होगा
सैंयाँ जी का सामना
हाय

लागी ना छूटे करूँ कोई बहाना
करूँ कोई बहाना
आया नाज़ुक़ ज़माना
दिल मेरा बना पिया तेरा निशाना
आया नाज़ुक़ ज़माना
लागी ना छूटे करूँ कोई बहाना
करूँ कोई बहाना
दिल मेरा बना पिया तेरा निशाना
आया नाज़ुक़ ज़माना
होये बुरा उल्फ़त का देखो अन्जाम ना
राम जाने कब होगा
सैंयाँ जी का सामना$