जुग-जुग जीवो रे - The Indic Lyrics Database

जुग-जुग जीवो रे

गीतकार - पं अनुज | गायक - ना | संगीत - शंकर राव व्यास | फ़िल्म - भरह मिलाप | वर्ष - 1942

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काहे को राड़ मचाई

काहे को राड़ मचाई

छोड़ो भी यह निठुराई काहे को राड़ मचाई

मन के बैर को मोह से बदलो दुःख भी सुख बन जायी

इसी मोह में अपना पराया दोनों की है भलाई

काहे को राड़ मचाई

हर पल नई बहार देखो जगत श्रिंगार

खिली कली मुरझा के बिकती बंधी कली मुस्काई

प्रीत की रीत 4

प्रीत की रीत निभाना सीखो बिगड़ा काम बनाना सीखो

जाके डार लिपट कर झूमी करके प्रेम सगाई

काहे को राड़ मचाई