जिन रातों में नींद उड़ जाती है, क्या कहर की रातें होती हैं - The Indic Lyrics Database

जिन रातों में नींद उड़ जाती है, क्या कहर की रातें होती हैं

गीतकार - आरज़ू लखनवी | गायक - रफी | संगीत - हंसराज बहल | फ़िल्म - NA | वर्ष - 1949

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कागज़ की थी वो नाव

कागज़ की थी वो नाव

कागज़ की थी वो नाव हम जिसमें जा रहे थे

वो रेत के जहाँ पर हम घर बना रहे थे

झूठी तसल्लियों में

हाय

झूठी तसल्लियों में हम दिन गुज़ारते थे

गाना था वो किसी को हम गुनगुना रहे थे

कागज़ की थी वो नाव हम जिसमें जा रहे थे

उल्फ़त का राग उसने छेड़ा तो मैं ये समझी

बिगड़ी बना रहे हैं कल वो बना नहीं थे

कागज़ की थी वो नाव हम जिसमें जा रहे थे