जीवन ज्योति बुझती जाये - The Indic Lyrics Database

जीवन ज्योति बुझती जाये

गीतकार - यशोदानंदन जोशी | गायक - अमीरबाई | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - विद्या | वर्ष - 1948

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काँटों से छेड़ते हैं मेरे जिगर के छाले

काँटों से छेड़ते हैं मेरे जिगर के छाले

मेरे जिगर के छाले

काँटों से छेड़ते हैं मेरे जिगर के छाले

मेरे जिगर के छाले

निर्धन से खेलते हैं ऊँचे मकान वाले

निर्धन से खेलते हैं ऊँचे मकान वाले

दुनिया तो जा रही है अपनी बारात लेकर

दुनिया तो जा रही है अपनी बारात लेकर

कोई कुचल गया है ये कौन देखेभाले

कोई कुचल गया है ये कौन देखेभाले

काँटों से छेड़ते हैं मेरे जिगर के छाले

शायद के बेकसों का भगवान भी नहीं है

शायद के बेकसों का भगवान भी नहीं है

मजबूर हम हैं जिस का जी चाहे वो सता ले

मजबूर हम हैं जिस का जी चाहे वो सता ले

काँटों से छेड़ते हैं मेरे जिगर के छाले