गुलछर्रे - The Indic Lyrics Database

गुलछर्रे

गीतकार - | गायक - | संगीत - | फ़िल्म - | वर्ष - 1992

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हे
फिकरों की पूंछों पे है
पटाखों की लड़ी
फितरत पतंग जैसी
आवारा है बढ़ी

हम में तोह ही है बच्चो
औकात ैंथ की
पंगो से पंगे ले लें
दिखाएं हेकड़ी

सारे छिछोरों को
हम ही सीखते हैं
ऐशों की कुंजी
नोटों की बारिश है
सिक्के फुवारे हैं
भीगा है सारा जहां…

जेबों में भारी गुलछर्रे
रहीसे करे गुलछर्रे
शो शा से भरे गुलछर्रे
ताड़ी से ुढे गुलछर्रे
ुढे गुलछर्रे

हे
सपनो के पोस्टर वाह भाई
दिन मैं भी दीखते हैं
सतरंगी पैकेटों में
मार्किट में बिकते हैं
अपना बस चले तोह हम
भरी सी फ़ैल पे
चंदा तारे न छोड़े
वह भी ख़रीद ले
बेतुकी बातों की
तक हम बना लेंगे
हम तोह जी घूम की भी
खिल्ली उड़ा लेंगे
हम न अकेले हैं
अपनी यह साज़िश में
शामिल है सारा जहां…

जेबों में भारी गुलछर्रे
रहीसे करे गुलछर्रे
शो शा से भरे गुलछर्रे
ताड़ी से ुढे गुलछर्रे
ुढे गुलछर्रे

कल की हम अभी सोचे क्यूँ
जीने को यह पल काफी है
जो दीन है हमने देखा नहीं
उसपे हम क्यों भरोसा करें..

सभी को छोड़ो
सब चुटकी में मिलता है
नूडल के जैसे
सब मिनटों  में पकता है
दम भर की खुशियाँ है
पल भर में मिलती हैं
मांग के देखो ज़रा…

जेबों में भारी गुलछर्रे
रहीसी करे गुलछर्रे
शो शा से भरे गुलछर्रे
ताड़ी से ुढे गुलछर्रे
ुढे गुलछर्रे.