इंसाफ का मंदिर है ये भगवान का घर हैं - The Indic Lyrics Database

इंसाफ का मंदिर है ये भगवान का घर हैं

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, सहगान | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - अमर | वर्ष - 1954

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during casting
र: इन्साफ़ का मन्दिर है ये भगवान का घर है -२
को: इन्साफ़ का मन्दिर है ये भगवान का घर है
र: कहना है जो कह दे तुझे किस बात का डर है

है खोट तेरे मन में जो भगवान से है दूर -२
हैं पाँव तेरे
casting ends hereDilip and Madhubaalaa go to temple
र: इन्साफ़ का मन्दिर है ये भगवान का घर है
कहना है जो कह दे तुझे किस बात का डर है

है खोट तेरे मन में जो भगवान से है दूर -२
हैं पाँव तेरे
हैं पाँव तेरे फिर भी तू आने से है मजबूर
आने से है मजबूर
हिम्मत है तो आ जा ये भलाई की डगर है
इन्साफ़ का मन्दिर है ये भगवान का घर है

दुख दे के जो दुखियों से न इन्साफ़ करेगा
भगवान भी उसको न कभी माफ़ करेगा
ये सोच ले -२
ये सोच ले हर बात की दाता को ख़बर है
दाता को ख़बर है
हिम्मत है तो आ जा ये भलाई की डगर है
को: इन्साफ़ का मन्दिर है ये भगवान का घर हैat the end
र: मायूस न हो हार के तक़दीर की बाज़ी
प्यारा है वो ग़म जिसमें हो भगवान भी राज़ी
दुख दर्द मिले
दुख दर्द मिले जिसमें वोही प्यार अमर हे
वोही प्यार अमर हे
ये सोच ले हर बात की दाता को ख़बर है
को: इन्साफ़ का मन्दिर है ये भगवान का घर है -२