एक महल मान छम छम करती रहती दुइ शहज़ादी - The Indic Lyrics Database

एक महल मान छम छम करती रहती दुइ शहज़ादी

गीतकार - गुलजार | गायक - मोहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार | संगीत - राजेश रोशन | फ़िल्म - स्वयंवर | वर्ष - 1980

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कि : एक महल मां छम-छम करती रहती दुई शहज़ादी
एक हो तन की सोने जैसी दूजी मन की चाँदी
र : एक महल मां ...एक सुरीली बाँसुरी जैसी पंचम सुर मां बोले
पहले हमको घर लई जाओ हम हैं घर की बांदीएक बड़ी तीखी नखरीली हर बात मां फूँ फाँ बोले
कि : दूजी कुछ ऐसी शर्मीली मुश्किल से हूँ हाँ बोले
हमको हूँ हाँ भली लगे
र : हमको फूँ फाँ भली लगे रे
कि : हमको हूँ हाँ भली लगे तुम लई जाओ तूफ़ाँ आँधीएक दफ़ा दो भईयों जैसे आए दो राजकुमार
र : दोनों समझे जीते बाजी दोनों गए दिल हार
कि : बिन माला के हुआ स्वय.म्वर
र : बिन माला के हुआ स्वय.म्वर
दो : बिन माला के हुआ स्वय.म्वर
बिना स्वय.म्वर की शादी