सुनो सुनो सुनो मेरी जुबानी इस धारती पर कभी कभी कभी - The Indic Lyrics Database

सुनो सुनो सुनो मेरी जुबानी इस धारती पर कभी कभी कभी

गीतकार - इन्दीवर | गायक - आशा भोंसले, शब्बीर कुमार | संगीत - बप्पी लाहिड़ी | फ़िल्म - धर्म अधिकारी | वर्ष - 1986

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सुनो सुनो सुनो मेरी जुबानी सुनो सुनो सुनो अमर कहानी
आते हैं जी जाते हैं जी
कौन आते हैं
इस धरती पर कभी कभी ऐसे लोग भी आते हैं
रहती दुनिया तक जो अपना नाम अमर कर जाते हैं
सुनो सुनो सुनो मेरी जुबानी ...अट्ठारह सौ सत्तावन का ज़माना याद करो
ब्रिटिश ज़ालिमों का ज़माना याद करो
फ़िरंगी ने आते जाते हमला किया ऐसा
खून हमारा होकर पानी बह सकता है कैसे
हमें कायर समझकर फ़ौज़ उनकी इस तरह टूटी
कुंवारी क्या सुहागन क्या सभी की आबरू लूटी
एक वीर धर्मराज तलवार ले के आया
वो भारत माँ का बेटा सामने आया
कूदा वो मैदान में लेकर न्याय की तलवार
ढेर हो गई रेत जैसे दुश्मन की दीवार
तो क्या विदेशी दुम दबाकर भाग गए
भागे नहीं हार गए
हारे हुए सिपाही पर गोरा अफ़सर बरस पड़ा
और कहा सामने से नहीं तो पीठ में छुरी मारों
जीत की ख़ुशी में सोए हुए इन्सान पर
फ़िरंगी सिपाहियों ने हमला कर दिया
फ़िरंगियों ने पीछे से उनको ऐसे पकड़ा
बड़े धोखे से आकर शेर को ज़ंजीरों में जकड़ा
घना वो पेड़ जो देता था सारे गांव को छाया
उसी पे फांसी देने को धर्मराज को लटकाया
शहीद तो मरके भी जीते रहते हैं
इसीलिए तो अमर उनको लोग कहते हैं
कटे हुए इस पेड़ को देखो गड़ी है जो तलवार
अब तक इसमें बाकी है आज़ादी की झंकार