तू काला मैं गोरी बालम तोरी मोरी भला अब कैसे जमेगी - The Indic Lyrics Database

तू काला मैं गोरी बालम तोरी मोरी भला अब कैसे जमेगी

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - एन दत्ता | फ़िल्म - लाइट हाउस | वर्ष - 1958

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आ : तू काला मैं गोरी बलम तोरी मोरी भला अब कैसे जमेगी
र : जैसे चाँद-चकोरी पतंग और डोरी सदा अब ऐसे जमेगी
को : ओ अब ऐसे जमेगी ...आ : मैं अलबेली नार नवेली आई हूँ कोसों चल के
अंग-अंग से मस्ती टपके नैनन से मदिरा छलके
चलते राही रुक जाएँ जब आँचल मोरा ढलके
मुझसे आँख मिलाना हो तो आना रूप बदल के
को : ओ भला अब कैसे जमेगी ...र : ये दुनिया ये दुनिया वाले सबके सब हैं पाजी
दिलवालों के बीच में यूँ ही बन जाते हैं काजी
ना खेलें ना खेलनें दें बेकार बिगाड़ें बाज़ी
इन सबको चूल्हे में डालो तुम राज़ी हम राज़ी
को : ओ सदा अब ऐसे जमेगी ...आ : रुनझुन मोरा कंगना बाजे छुनछुन पायल बोले
इस पायल की छनन-छनन पर लाखों का दिल डोले
जहाँ भी जाऊँ दिलवालों का जमघट पीछे हो ले
कुछ शरमा के कुछ घबरा के दिल मोरा यूँ बोले
को : भला अब कैसे जमेगी ...