तुम ने किसी की जान को जाते हुए देखा है - The Indic Lyrics Database

तुम ने किसी की जान को जाते हुए देखा है

गीतकार - इन्दीवर | गायक - मोहम्मद रफी | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - धर्मात्मा: | वर्ष - 1975

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तुम ने किसी की जान को जाते हुए देखा है
वो देखो मुझसे रूठकर, मेरी जान जा रही है
क्या जाने किस कुसूर की दी है मुझे सजायें
दीवाना कर रही है, तोबा शिकन अदायें
जुल्फों में मुह छुपाकर, मुझ को लुभा रही है
घबरा रही है खुद भी बेचैन हो रही है
अपने ही खून-ए-दिल में दामन डूबो रही है
बेजान रह गये हम, वो मुस्कुरा रही है
मस्तीभरी घटाओं अब जाके रोक लो तुम
तुमको मेरी कसम है समझा के रोक लो तुम
उसकी जुदाई दिल पर नश्तर चला रही है