दिल का गुलादस्ता बनों का हरे - The Indic Lyrics Database

दिल का गुलादस्ता बनों का हरे

गीतकार - शैली शैलेंद्र | गायक - किशोर कुमार, शारदा | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - वचन | वर्ष - 1974

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कि : दिल का गुलदस्ता बाँहों का हार
साथ में इसके बहुत सा प्यार -२
लेकर आया सरकार कर लीजिए स्वीकार -२
शा : हो हो हमने किया स्वीकार ( मेरे यार ) -२कि : ठण्डे मौसम में आग ये कैसी लगी
शा : हाय
कि : कैसे मोड़ पे आ गई ज़िन्दगी
शा : अच्छा
कि : बिन पिए आज ये क्या हमको हो गया
शा : हो हो
कि : प्यार का हर तरफ़ छाने लगा है नशा
शा : मार डाला
कि : छाने लगा है नशा -२
शा : दिल का गुलदस्ता ...
कि : लेकर आया सरकार ...
शा : हाँ-हाँ कर तो लिया स्वीकार ...कि : खोए हम रहे इन गोरी-गोरी बाँहों में
रेशमी ज़ुल्फ़ की प्यारी-प्यारी छाँव में
ग़म भी कोई आने ना पाएगा जहाँ
प्यार की बस्तियाँ हम बसाएँगे वहाँ -३
दो : अरे दिल का गुलदस्ता ...