क्या हो फिर जो दिन रंगीला हो - The Indic Lyrics Database

क्या हो फिर जो दिन रंगीला हो

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - गीता दत्त, आशा भोंसले | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - नौ दो ग्यारह | वर्ष - 1957

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ग़ेएत:क्या हो फिर जो दिन रंगीला हो
रैत चमके समुन्दर नीला हो
और आकाश गीला गीला होक्या हो फिर जो दिन रंगीला हो
रस चमकी समुन.दर नीला हो
और आकाश गीला गीला होआश:आहा फिर तो बदा मज़ा होगा
अम्बर झुका झुका होगा
सागर रुका रुका होगा
तूफ़ान छुपा छुपा होगाहाँ फिर तो बदा मज़ा होगा
अम्बर झुका झुका होगा
सागर रुका रुका होगा
तूफ़ान छुपा छुपा होगाग़ेएत:क्या हो फिर जो चंचल घातें हो
होंठों पे मचलती बातें हो
सावन हो भरि बर्सातेइन होनआश:आहा फिर तो बदा मज़ा होगा
कोई कोई फिसल रहा होगा
कोई कोई सम्भल रहा होगा
कोई कोई मचल रहा होगाआश:हाँ फिर तो बदा मज़ा होगा
कोई कोई फिसल रहा होगा
कोई कोई सम्भल रहा होगा
कोई कोई मचल रहा होगाग़ेएत:क्या हो फिर जो दुनियाँ सोती हो
और तारों भरी खामोशी हो
हर आहट पे धड़कन होती होआश:आहा फिर तो बदा मज़ा होगा
दिल दिल मिला मिला होगा
तन मन खिला खिला होगा
दुश्मन जला जला होगाआश:हाँ फिर तो बदा मज़ा होगा
दिल दिल मिला मिला होगा
तन मन खिला खिला होगा
दुश्मन जला जला होगा