गुनगुना रहे हैं भँवरें, खिल रही है कली कली - The Indic Lyrics Database

गुनगुना रहे हैं भँवरें, खिल रही है कली कली

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - आशा - रफी | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - आराधना | वर्ष - 1969

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गुनगुना रहे हैं भँवरें, खिल रही है कली कली
गली गली, कली कली
ज़रा देखो सजन बेईमान भँवरा कैसे मुस्काये
हाए, कली यूँ शरमाये, घूघंट में गोरी जैसे छुप जाये
रुत ऐसी हाय कैसी, ये पवन चली गली गली
किसी को क्या कहे, हम दोनो भी हैं देखो कुछ खोये
ओये, हुआ क्या ओये ओये, जागे जिया में अरमान सोये
रुत ऐसी हाय कैसी, ये पवन चली गली गली
सुनो, पास ना आओ, कली के बहाने प्यार ना जताओ
जाओ, चलो बात ना बनाओ, भँवरें के बहाने आँख ना लड़ाओ
रुत ऐसी हाय कैसी, ये पवन चली गली गली