जिहाल ए मस्किन मकुन बा रंजीशो - The Indic Lyrics Database

जिहाल ए मस्किन मकुन बा रंजीशो

गीतकार - गुलजार | गायक - लता मंगेशकर, शब्बीर कुमार | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - गुलामी | वर्ष - 1985

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जिहाल-ए-मस्ती मकुन-ब-रन्जिश,
बहाल-ए-हिज्र बेचारा दिल हैसुनाई देती है जिसकी धड़कन
तुम्हारा दिल या हमारा दिल हैवो आके पहलू में ऐसे बैठे
के शाम रंगीन हो गई है (३)
ज़रा ज़रा सी खिली तबीयत
ज़रा सी ग़मगीन हो गई है(कभी कभी शाम ऐसे ढलती है
के जैसे घूँघट उतर रहा है )-२
तुम्हारे सीने से उठ था धुआँ
हमारे दिल से गुज़ार रहा हैये शर्म है या हया है क्या है
नजर उठाते ही झुक गयी है
तुम्हारी पलकों से गिरके शबनम
हमारी आँखों में रुक गयी है