साथी ना कोई मंज़िल - The Indic Lyrics Database

साथी ना कोई मंज़िल

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - बंबई का बाबू | वर्ष - 1960

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साथी न कोई मंज़िल
दीया है न कोई महफ़िल
चला मुझे ले के ऐ दिल, अकेला कहाँ?
हमदम कोई मिले कहीं
ऐसे नसीब ही नहीं
बेदर्द है ज़मीं, दूर आसमाँ
गलियाँ हैं अपने देस की
फिर भी है जैसे अजनबी
किस को कहे कोई, अपना यहाँ
पत्थर के आशना मिले
पत्थर के देवता मिले
शीशे का दिल लिये, जाऊँ कहाँ?