साथी हाथ बढ़ाना - The Indic Lyrics Database

साथी हाथ बढ़ाना

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - आशा - रफी | संगीत - ओ. पी. नय्यर | फ़िल्म - नया दौर | वर्ष - 1957

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साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना
हम मेहनत वालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया
फौलादी हैं सीने अपने, फौलादी हैं बाहें
हम चाहें तो पैदा कर दें चट्टानों में राहें
मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना
कल गैरों की ख़ातिर की, आज अपनी ख़ातिर करना
अपना सुख भी एक है साथी अपना दुःख भी एक
अपनी मंज़िल सच की मंज़िल, अपना रस्ता नेक
एक से एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया
एक से एक मिले तो जर्रा बन जाता है सेहरा
एक से एक मिले तो राई बन सकती है परबत
एक से एक मिले तो इन्सां बस में कर ले किस्मत
माटी से हम लाल निकालें, मोती लाएँ जल से
जो कुछ इस दुनिया में बना है, बना हमारे बल से
कब तक मेहनत के पैरों में दौलत की ज़ंजीरें
हाथ बढ़ाकर छीन लो अपने सपनों की ताबीरें