तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे - The Indic Lyrics Database

तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे

गीतकार - नक्श लायलपूरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - Nil | वर्ष - Nil

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तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे
के जैसे युगों से तुम्हें जानती हूँ
अगर तुम हो सागर, मैं प्यासी नदी हूँ
अगर तुम हो सावन, मैं जलती कली हूँ
मुझे मेरी नींदें, मेरा चैन दे दो
मुझे मेरी सपनों की इक रैन, दे दो ना
यही बात पहले भी तुमसे कही थी
वही बात फिर आज दोहरा रही हूँ
तुम्हें छू के पल में बने धूल चंदन
तुम्हारी महक से महकने लगे तन
मेरे पास आओ, गले से लगाओ
पिया और तुमसे मैं क्या चाहती हूँ
मुरलिया समझकर मुझे तुम उठा लो
बस एक बार होंठों से अपने लगा लो ना
कोई सुर तो जागे मेरी धड़कनों में
के मैं अपनी सरगम से रूठी हुई हूँ