क्यों खेल प्रीत का खेली मैं रह गई अकेली - The Indic Lyrics Database

क्यों खेल प्रीत का खेली मैं रह गई अकेली

गीतकार - वर्मा मलिक | गायक - सुरैया | संगीत - सरदुल क्वात्र | फ़िल्म - गूंज | वर्ष - 1952

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( क्यों खेल प्रीत का खेली
मैं रह गई अकेली
बलम मेरे बेली
तू आ मिल जी उदास है ) -२दो दिन का वादा कर गये हो गुज़रे कई महीने
याद तेरी है ऐसी बैरन देती नहीं है जीने
वाह रे बलमा
तूने आँखें फेरीं ओ सजना
ओ तूने आँखें फेरीं ओ सजना
जान वरों (?) ने ले लीमैं रह गई अकेली
तू आ मिल जी उदास हैक्यों खेल प्रीत का खेली
मैं रह गई अकेली
बलम मेरे बेली
तू आ मिल जी उदास हैएक घड़ी भी सुख न देखा तुम संग नैन मिला के
टूट गये सब सपने मेरे बैठी हूँ चैन गँवा के
वाह री क़िसमत
देती है वास्ता तुझको बैरिया
ओ देती है वास्ता तुझको बैरिया
उलफ़त नई-नवेलीमैं रह गई अकेली
तू आ मिल जी उदास हैक्यों खेल प्रीत का खेली
मैं रह गई अकेली
बलम मेरे बेली
तू आ मिल जी उदास है