साँवरिया, साँवरिया, मैं तो हुई बाँवरिया - The Indic Lyrics Database

साँवरिया, साँवरिया, मैं तो हुई बाँवरिया

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - अलका याज्ञनिक | संगीत - ए. आर. रहमान | फ़िल्म - स्वदेस | वर्ष - 2004

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साँवरिया, साँवरिया, मैं तो हुई बाँवरिया
तूने मन मोह लिया, साँवरिया हो
उलझा सा ये मन है, सुलगा सा ये तन है
सपनों का सावन है, नैनों का आँगन है
छलके मन गागरिया, साँवरिया हो
जो तू यूँ पास आया है, जो तू यूँ दिल पे छाया है
तो मैने क्या पाया है, कैसे कहूँ
कहीं धड़कन की कलियाँ हैं, कहीं सपनों की गलियाँ हैं
जो मन में रंगरलियाँ हैं, कैसे कहूँ
तू जो मुझे ऐसे बहकाए
कभी कभी मुझे तो बडी लाज सी आए
भूली हूँ मैं जैसे अपनी डगरिया
जब से है देखी मैने प्रेम नगरिया
तू जो मिला मुझे, तो ये सारा समा बदल गया
खिलने लगे फूल से मेरी राह में
फिर यूँ लगा मुझे के ये धरती नई हुई
नया अंबर हुआ तेरी और मेरी चाह में
चंचल हवा तराना कोई गाए
नदिया भी कोई कहानी कहती जाए
जब से मिली सजना तुझ से नजरिया
खो गई है सुदबूद की मुझ से गठरिया