तुम्हारी पलकों की चिलमनों में - The Indic Lyrics Database

तुम्हारी पलकों की चिलमनों में

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - नौनिहाल | वर्ष - 1967

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तुम्हारी पलकों की चिलमनों में ये क्या छुपा है सितारे जैसा
हसीन है ये हमारे जैसा, शरीर है ये तुम्हारे जैसा
तुम्हारे ख्वाबों के आईने में ये क्या छुपा है हमारे जैसा
जवान है ये हमारे जैसा, हसीन है ये तुम्हारे जैसा
तुम्हारी बाहों में छुपके हमने
तुम्ही को तुमसे चुरा लिया है
चुरानेवाले के हाथ हमने जो खो दिया था वो पा लिया है
तुम्हारे होठों की ख़ामोशी में ये क्या छुपा है इशारे जैसा
हसीन है ये हमारे जैसा, शरीर है ये तुम्हारे जैसा
नये मुसाफिर के कौन हैं हम
नये मुसाफिर को ये बता दो
वो तुमसे खुद ही करेगा बातें
करीब आ के इसे जगा दो
तुम्हारी शर्मीली शोखियों में ये क्या छुपा है शरारे जैसा
तुम्हारे ख्वाबों की आईने में ये क्या छुपा है हमारे जैसा
जवान है ये हमारे जैसा, हसीन है ये तुम्हारे जैसा