तुम्हारी नज़र क्यों खफा हो गई - The Indic Lyrics Database

तुम्हारी नज़र क्यों खफा हो गई

गीतकार - निदा फाजली | गायक - लता मंगेशकर - मोहम्मद रफी | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - नाख़ुदा | वर्ष - 1981

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तुम्हारी नज़र क्यों खफा हो गई
ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी ख़ता खुद सज़ा हो गई
सज़ा ही सही आज कुछ तो मिला है
सज़ा में भी एक प्यार का सिलसिला है
मोहब्बत का अब कुछ भी अंजाम हो
मुलाक़ात की इब्तिदा हो गई
मुलाक़ात पे इतने मगरूर क्यों हो
हमारी खुशामद पे मजबूर क्यों हो
मनाने की आदत कहाँ पड गई
सताने की तालीम क्या हो गई
सताते ना हम तो मनाते ही कैसे
तुम्हें अपने नज़दीक लाते ही कैसे
इसी दिन का चाहत को अरमान था
क़ुबूल आज दिल की दुआ हो गई