छोडो सनम काहे का गम - The Indic Lyrics Database

छोडो सनम काहे का गम

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - किशोर कुमार, एनेट | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - कुदरत | वर्ष - 1981

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Anette : (छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो ) -२
मिट जायेगा सारा गिला, हमसे गले मिलते रहो
छोड़ो सनम काहे का ग़म, हंसते रहो खिलते रहो
ला ला ला ला ... ला ला ला ला ...Kishore : (छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो ) -२
मिट जायेगा सारा गिला, हमसे गले मिलते रहो
छोड़ो सनम काहे का ग़म, हंसते रहो खिलते रहोमुस्कुराती हसीन आँखों से
देखो देखो समा बदलता है कैसे
जानेजहाँ ...
चेहरे की रंगत खुल जाती है ऐसेKishore : (छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो ) -२आओ मिलकर के यूँ बहक जाएं
कि महक जाये आज होंठों की कलियाँ
झूमे फ़िज़ा ...
ये गलियाँ बन जाये फूलों की गलियाँKishore : (छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो ) -२
मिट जायेगा सारा गिला, हमसे गले मिलते रहो