रोना है बेकार पगली रोना है बेकार - The Indic Lyrics Database

रोना है बेकार पगली रोना है बेकार

गीतकार - पंडित माधुरी | गायक - NA | संगीत - कमल दासगुप्ता | फ़िल्म - जवाबी | वर्ष - 1942

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रुत आ गई रे रुत छा गई रे

रुत आ गई रे रुत छा गई रे

पीलीपीली सरसों फूले

पीलेपीले पत्ते झूमें

पीहूपीइहू पपिहा बोले

चल बाग में

धमकधमक ढोलक बाजे

छनकछनक पायल छनके

खनकखनक कंगना बोले

चल बाग में

चुनरी जो तेरी उड़ती है उड़ जाने दे

बिंदिया जो तेरी गिरती है गिर जाने दे

गीतों की मौज आई

फूलों की फ़ौज आई

नदिया में जो धूप घुली सोना बहा

अम्बुआ से है लिपटी एक बेल बेले की

तू ही मुझ से है दूर आ पास आ

मुझ को तू साँसों से छू ले

झूल इन बाहों के झूले

प्यार थोड़ा सा मुझे दे के

मेरे जानओदिल तू ले

तू जब यूँ सजती है

एक धूम मचती है

सारी गलियों में सारे बाज़ार में

आँचल बसंती है उस में से छनती है

जो मैंने पूजी है मूरत तिहारे में

जाने कैसी है ये डोरी

मैं बंधा हूँ जिस से गोरी

तेरे नैनों ने मेरी नींदों की कर ली है चोरी