रुख़ से ज़रा नक़ाब उठा दो, मेरे हुज़ूर - The Indic Lyrics Database

रुख़ से ज़रा नक़ाब उठा दो, मेरे हुज़ूर

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - मेरे हुज़ूर | वर्ष - 1968

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अपने रुख़ पर निगाह करने दो
खूबसूरत गुनाह करने दो
रुख़ से परदा हटाओ, जान-ए-हया
आज दिल को तबाह करने दो
रुख़ से ज़रा नक़ाब उठा दो, मेरे हुज़ूर
जलवा फिर एक बार दिखा दो, मेरे हुज़ूर
वो मर्मरी से हाथ, वो महका हुआ बदन
टकराया मेरे दिल से, मोहब्बत का एक चमन
मेरे भी दिल का फूल खिला दो, मेरे हुज़ूर
हुस्न-ओ-जमाल आप का शीशे में देख कर
मदहोश हो चुका हूँ मैं जलवों की राहपर
गर हो सके तो होश में ला दो, मेरे हुज़ूर
तुम हमसफ़र मिले हो मुझे इस हयात में
मिल जाए जैसे चाँद कोई सुनी रात में
जाओगे तुम कहाँ ये बता दो, मेरे हुज़ूर